हल छठ के दिन भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी की पूजा की जाती है, माना जाता है की भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की षष्टी को बलराम जी का जन्म हुआ था, इसीलिए बलराम जी के जन्म का उत्सव मनाने के लिए हल छठ का त्यौहार मनाया जाता है, इस दिन महिलाये बलराम जी की पूजा अर्चना करती है, और अपने बच्चो की लम्बी उम्र की कामना करती है |
इस दिन महिलाये व्रत भी करती है लेकिन हल छठ के दिन व्रत को करते समय कुछ बातो का ध्यान में रखना या पालन करना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि व्रत के समय इन बातो की अनदेखी से व्रत का फल प्राप्त नहीं हो पाता है, इसीलिए इन बातो का अवश्य ध्यान रखे |
व्रत को करने से जुड़े नियम
हल छठ के दिन महिलाओं को खेत में काम करना सही नहीं माना गया है, इसीलिए इस दिन महिलाओं को खेतो में किसी भी प्रकार का काम नहीं करना चाहिए, लोगो का मानना जाता है की अगर इस दिन महिला खेत में कदम रख देती है तो खेत में फसल नहीं होती है |
हल छठ के पर्व के दिन गाय माता का पूजन किया जाता है इसीलिए इस दिन गाय के दूध और घी का सेवन सही नहीं माना गया है, इस दिन किसी भी जानवर को भूलकर भी हानि ना पहुचाये |
हल छठ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करे और हल की पूजा करे, इस दिन हल की पूजा करना आवश्यक है, और साथ ही धरती माता की पूजा भी अवश्य करे |
यह व्रत निर्जला व्रत होता है इसीलिए इस व्रत में किसी भी प्रकार की वस्तुओ का सेवन वर्जित माना गया है |
इस व्रत का महत्व पुत्र की प्राप्ति और उसकी लम्बी आयु में बहुत से है इसीलिए पुत्रवती महिलाये इस व्रत को अवश्य करे इससे उनका पुत्र दीर्घायु प्राप्त करेगा |
हल छठ के दिन हवन करना भी बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है इसीलिए अगर आप चाहे तो घर में हल छठ के दिन हवन कर सकते है और हवन कर रहे है तो उसमे मक्खन का प्रयोग अवश्य करे और हवन में इस मंत्र का जाप अवश्य करे |
गंगाद्वारे कुशावर्ते विल्वके नीलेपर्वते।
स्नात्वा कनखले देवि हरं लब्धवती पतिम्॥
ललिते सुभगे देवि-सुखसौभाग्य दायिनि।
अनन्तं देहि सौभाग्यं मह्यं, तुभ्यं नमो नमः॥